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जे.पी.एस.सी. – प्रकृति एवं प्रक्रिया

  • 01 Aug 2021
  • 15 min read

परिचय (Introduction):
सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले ज़्यादातर अभ्यर्थी (विशेषकर हिंदी माध्यम) इस परीक्षा की तैयारी के दौरान झारखंड लोक सेवा आयोग (जे.पी.एस.सी.), राँची द्वारा आयोजित ‘संयुक्त असैनिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा’ में भी सम्मिलित होते हैं। सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की जे.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में सार्थक भूमिका होती है, इसलिये सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र इस परीक्षा में भी सफल होते हैं। 

आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाएँ: 

  • झारखंड में राज्य आधारित सरकारी, अर्द्ध-सरकारी, न्यायिक एवं अन्य अधीनस्थ सेवाओं का आयोजन मुख्य रूप से झारखंड लोक सेवा आयोग (जे.पी.एस.सी.), राँची द्वारा किया जाता है।
  • इस आयोग द्वारा आयोजित सर्वाधिक लोकप्रिय परीक्षा ‘संयुक्त असैनिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा’ है, जिसे ‘झारखंड पी.सी.एस.’ के नाम से भी जाना जाता है। 

झारखंड पी.सी.एस. परीक्षा- प्रकृति एवं प्रक्रिया

परीक्षा की प्रकृति: 

  • जे.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित इस प्रतियोगी परीक्षा में सामान्यत: क्रमवार तीन स्तर सम्मिलित हैं-
    1. प्रारम्भिक परीक्षा– वस्तुनिष्ठ प्रकृति
    2. मुख्य परीक्षा- वस्तुनिष्ठ एवं वर्णनात्मक प्रकृति 
    3. साक्षात्कार-  मौखिक
  • वर्ष 2013 में (5वीं प्रतियोगिता परीक्षा से) पहली बार जे.पी.एस.सी. द्वारा इस परीक्षा के प्रथम चरण (प्रारम्भिक परीक्षा) एवं वर्ष 2016 में (छठी प्रतियोगिता परीक्षा से, जिसे अब ‘संयुक्त असैनिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा’ के नाम से जाना जाता है), इसकी प्रारम्भिक एवं मुख्य परीक्षा की प्रकृति एवं पाठ्यक्रम में महत्त्वपूर्ण बदलाव किया गया। इसका विस्तृत विवरण नीचे  दिया गया है।

परीक्षा की प्रक्रिया:

प्रारम्भिक परीक्षा की प्रक्रिया:

  • सर्वप्रथम आयोग द्वारा इन परीक्षाओं से सम्बंधित विज्ञप्ति जारी की जाती है, उसके पश्चात ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू होती है। फॉर्म भरने की प्रक्रिया से सम्बंधित विस्तृत जानकारी ‘विज्ञप्ति’ के अंतर्गत ‘ऑनलाइन आवेदन कैसे करें?’ शीर्षक में दी गई होती है।
  • विज्ञप्ति में उक्त परीक्षा से सम्बंधित विभिन्न पहलुओं का विस्तृत विवरण दिया गया होता है। अत: फॉर्म भरने से पहले इसका अध्ययन करना लाभदायक रहता है।
  • फॉर्म भरने की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद सामान्यतः 2 से 3 माह पश्चात् प्रारम्भिक परीक्षा आयोजित की जाती है।
  • प्रारंभिक परीक्षा एक ही दिन आयोग द्वारा निर्धारित राज्य के विभिन्न केन्द्रों पर सम्पन्न होती है।
  • आयोग द्वारा आयोजित प्रारम्भिक परीक्षा की प्रकृति वस्तुनिष्ठ (बहुविकल्पीय) होती है जिसके अंतर्गत प्रत्येक प्रश्न के लिये दिये गए चार संभावित विकल्पों (a, b, c और d) में से एक सही विकल्प का चयन करना होता है।
  • प्रश्न से सम्बंधित इस चयनित विकल्प को आयोग द्वारा दिये गए ओ.एम.आर. सीट में उसके सम्मुख दिये गए सम्बंधित गोले (सर्किल) में उचित स्थान पर नीले या काले बॉल पॉइंट पेन से भरना होता है।
  • जे.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित इस परीक्षा में गलत उत्तर के लिये किसी भी प्रकार के नेगेटिव मार्किंग का प्रावधान नहीं किया गया है।
  • यदि अभ्यर्थी किसी प्रश्न का एक से अधिक उत्तर देता है, तो इसे गलत उत्तर माना जाता है।
  • प्रश्नपत्र दो भाषाओं (हिंदी एवं अंग्रेजी) में दिये गए होते हैं। किसी भी शब्द /वाक्य में भाषा विवाद की स्थिति में अंग्रेजी भाषा में लिखे शब्द /वाक्य को आधार माना जाता है।
  • वर्ष 2016 में आयोग द्वारा प्रारम्भिक परीक्षा की प्रकृति एवं पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया। इसके अनुसार एप्टिट्यूड टेस्ट (सीसैट) के स्थान पर द्वितीय प्रश्नपत्र के रूप में ‘झारखंड का सामान्य ज्ञान’  को अपनाया गया है।
  • वर्तमान में आयोग की इस प्रारम्भिक परीक्षा में दो अनिवार्य प्रश्नपत्र (क्रमशः ‘सामान्य अध्ययन’ एवं ‘झारखंड का सामान्य ज्ञान’) पूछे जाते हैं, जिसकी परीक्षा एक ही दिन दो विभिन्न पालियों में दो-दो घंटे की समयावधि में सम्पन्न होती है। इसकी विस्तृत जानकारी ‘पाठ्यक्रम’ शीर्षक में दिया गया है।
  • प्रारम्भिक परीक्षा कुल 400 अंकों की होती है।
  • प्रथम प्रश्नपत्र में ‘सामान्य अध्ययन’ से सम्बंधित कुल 100 प्रश्न पूछे जाते हैं जिसके लिये अधिकतम 200 अंक निर्धारित हैं।
  • द्वितीय प्रश्नपत्र में ‘झारखंड का सामान्य ज्ञान’ से सम्बंधित कुल 100 प्रश्न पूछे जाते हैं जिसके लिये अधिकतम 200 अंक निर्धारित हैं।
  • इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिये सामान्यत: 65-70% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, किन्तु कभी-कभी प्रश्नों के कठिनाई स्तर को देखते हुए यह प्रतिशत कम भी हो सकती है।
  • प्रारम्भिक परीक्षा की प्रकृति क्वालिफाइंग होती है। इसमें प्राप्त अंकों को मुख्य परीक्षा या साक्षात्कार के अंकों के साथ नहीं जोड़ा जाता है। 

मुख्य परीक्षा की प्रक्रिया:

  • मुख्य परीक्षा में प्रवेश पाने वाले अभ्यर्थियों की संख्या विज्ञापन में प्रदर्शित की गई सेवा तथा पदों के विभिन्न प्रवर्गों से भरी जाने वाली कुल रिक्तियों की संख्या से 15 गुनी होती है। 
  • प्रारम्भिक परीक्षा में सफल हुए अभ्यर्थियों के लिये मुख्य परीक्षा का आयोजन राँची में आयोग द्वारा निर्धारित राज्य के विभिन्न केन्द्रों पर किया जाता है। 
  • वर्ष 2016 में जे.पी.एस.सी. की इस मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम में आमूलचूल परिवर्तन किया गया। इससे पूर्व इस मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के साथ-साथ दो वैकल्पिक विषय के प्रश्नपत्र भी पूछे जाते थे, जिन्हें अब हटा दिया गया है।
  • अब इस मुख्य परीक्षा में छ: अनिवार्य प्रश्नपत्र पूछे जाएंगे। इसकी प्रकृति परम्परागत वस्तुनिष्ठ एवं वर्णनात्मक प्रकार की होगी। प्रत्येक प्रश्न पत्र के सभी प्रश्नों के उत्तर को आयोग द्वारा दी गई उत्तर-पुस्तिका में अधिकतम तीन घंटे की निर्धारित समय सीमा में लिखना होगा। इसकी विस्तृत जानकारी ‘पाठ्यक्रम’ शीर्षक में दी गई है।
  • जे.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा अब कुल 1050 अंकों की होगी। 
  • मुख्य परीक्षा के प्रथम प्रश्नपत्र ‘सामान्य हिंदी एवं सामान्य अंग्रेजी’ के लिये कुल 100 अंक निर्धारित किया गया है। यह प्रश्नपत्र 50-50 अंकों के दो खण्डों (क्रमश: सामान्य हिंदी एवं सामान्य अंग्रेजी’) में विभाजित होगा। यह प्रश्नपत्र क्वालिफाइंग होता है। इस प्रश्नपत्र में न्यूनतम 30 अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा। प्रश्नपत्र की प्रकृति वर्णनात्मक प्रकार की होगी।
  • मुख्य परीक्षा के द्वितीय प्रश्नपत्र ‘भाषा एवं साहित्य’ के लिये कुल 150 अंक निर्धारित किये गए हैं। इस प्रश्नपत्र में अभ्यर्थी आयोग द्वारा जारी विज्ञप्ति में वर्णित 15 ‘भाषा एवं साहित्य’ संबंधी शीर्षक में से किसी एक शीर्षक का चयन कर सकता है।
  • मुख्य परीक्षा के शेष चार प्रश्नपत्र सामान्य अध्ययन से सम्बंधित होंगे। प्रत्येक प्रश्नपत्र के लिये 200-200 अंक निर्धारित किया गया है। इनमें 40 अंकों के 20 वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न पूछे जाएंगे (प्रत्येक प्रश्न 2 अंकों का होगा) और शेष 160 अंकों के 4 या 5 प्रश्न वर्णनात्मक (दीर्घ उत्तरीय) प्रकार के होंगे (प्रत्येक प्रश्न 40 या 32 अंकों का होगा)।
  • मुख्य परीक्षा के शेष चार प्रश्नपत्रों में क्रमश: ‘सामाजिक विज्ञान (इतिहास एवं भूगोल)’, ‘भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था, लोक प्रशासन एवं सुशासन’, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था, वैश्वीकरण और सतत् विकास’ तथा ‘सामान्य विज्ञान, पर्यावरण एवं तकनीकी विकास’ शामिल हैं।
  • सामान्य हिंदी के प्रश्नपत्र को छोड़कर अन्य सभी प्रश्नपत्र हिंदी तथा अंग्रेजी माध्यम में उपलब्ध होंगें। अभ्यर्थी केवल उसी भाषा में परीक्षा दे सकेगा जो उसने अपने आवेदन पत्र में उल्लेखित किया है।
  • परीक्षा के इस चरण में सफलता प्राप्त करने के लिये सामान्यत: 60-65% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। हालाँकि पाठ्यक्रम में बदलाव के कारण यह प्रतिशत कुछ कम भी हो सकता है।
  • पूर्व की भाँति ही इन प्रश्नपत्रों में प्राप्त किये गए अंक मेधा सूची में जोड़े जाएंगे।
  • परीक्षा के सभी विषयों में उचित शब्द सीमा में की गई संगठित, सूक्ष्म और सशक्त अभिव्यक्ति को श्रेय मिलेगा।

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नोट:

  • प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा में अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिये न्यूनतम 40%, पिछड़ा वर्ग-1 के अभ्यर्थियों के लिये  न्यूनतम 34%, पिछड़ा वर्ग-2 के अभ्यर्थियों के लिये न्यूनतम 36.5% एवं अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति एवं महिला अभ्यर्थियों के लिये न्यूनतम 32%, अर्हकारी अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
  • मुख्य परीक्षा के प्रथम प्रश्नपत्र (सामान्य हिंदी एवं सामान्य अंग्रेजी) में सभी कोटि के अभ्यर्थियों को न्यूनतम 30 अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा। 

साक्षात्कार की प्रक्रिया:

  • मुख्य परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों को सामान्यत: एक माह पश्चात् आयोग के समक्ष साक्षात्कार के लिये उपस्थित होना होता है।
  • साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है, जिसमें आयोग के सदस्यों द्वारा आयोग में निर्धारित स्थान पर मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसका उत्तर अभ्यर्थी को मौखिक रूप से देना होता है। यह प्रक्रिया अभ्यर्थियों की संख्या के अनुसार एक से अधिक दिनों तक चलती है।
  • जे.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में साक्षात्कार के लिये कुल 100 अंक निर्धारित किया गया है।
  • मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर अंतिम रूप से मेधा सूची (मेरिट लिस्ट) तैयार की जाती है।
  • सम्पूर्ण साक्षात्कार समाप्त होने के सामान्यत: एक सप्ताह पश्चात अन्तिम रूप से चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी की जाती है।

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